Thursday, July 23, 2009

फिर से क्योँ?

तन्हा तो हम तब से ही थे,
जबसे साथ तुम्हारा छूटा था;
दिलासा दिया था खुद को तब से,
मालूम होता है वो झूठा था!

एक अरसा हुआ, हम तनहा ही रहे,
मंजिले बनी, रास्ते छूटे;
आज जब तन्हाई की आदत सी लग चुकी हमको -
फिर से पुकारा तुमने, उतनी ही मोहब्बत से!

... मगर क्योँ? फिर से क्योँ?

~Ruu
22nd July 2009, 2230hours, Bangalore

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