तन्हा तो हम तब से ही थे,
जबसे साथ तुम्हारा छूटा था;
दिलासा दिया था खुद को तब से,
मालूम होता है वो झूठा था!
एक अरसा हुआ, हम तनहा ही रहे,
न मंजिले बनी, न रास्ते छूटे;
आज जब तन्हाई की आदत सी लग चुकी हमको -
फिर से पुकारा तुमने, उतनी ही मोहब्बत से!
... मगर क्योँ? फिर से क्योँ?
~Ruu
22nd July 2009, 2230hours, Bangalore
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